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प्रादेशिकतावाद के उदय के कारण स्पष्ट कीजिए ।

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प्रादेशिकतावाद के उदय के तीन कारण है भाषा, धर्म और जाति ।

(1) भाषा: भाषावाद ने प्रादेशिकतावाद को प्रोत्साहन दिया है । उत्तर भारत में हिन्दी भाषा तो दक्षिण भारत में अहिन्दी भाषा से प्रदेशवाद की माँग तीव्र हुई । इसी भावना से भारत में भाषा के आधार पर राज्यों का गठन और पुनर्गठन हुआ ।

(2) धर्म और जाति: कुछ राज्यों में किसी एक ही कौम के बहुसंख्यक लोग अपने धर्म का पालन कर रहे है । असम में बोडो जाति के लोग अपने अलग प्रदेश के लिए उग्र आन्दोलन कर रहे हैं । वहाँ उल्फा उग्रवाद भी सक्रिय है । प्रदेशवाद के कारण पंजाब, हरियाणा का विभाजन हुआ | बिहार से झारखण्ड, मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश से तेलंगाना राज्य अलग हुए । वर्तमान में महाराष्ट्र से विदर्भ राज्य की माँग चल रही हैं ।



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