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प्रेमचंद के आदर्शन्मुख यथार्थवाद से आप क्या समझते हैं ?

Answer» आदशो\xa0आदर्शोन्मुख\xa0यथार्थवाद\xa0स्वयं उन्हीं की गढ़ी हुई संज्ञा है। यह कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में उनके रचनात्मक प्रयासों पर लागू होती है जो कटु यथार्थ का चित्रण करते हुए भी समस्याओं और अंतर्विरोधों को अंतत: एक आदर्शवादी और मनोवांछित समाधान तक पहुँचा देती है।\xa0सेवासदन, प्रेमाश्रम\xa0आदि उपन्यास और\xa0पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, नमक का दरोगा\xa0आदि कहानियाँ ऐसी ही हैं। बाद की रचनाओं में वे कटु यथार्थ को भी प्रस्तुत करने में किसी तरह का समझौता नहीं करते।\xa0गोदान\xa0उपन्यास और\xa0पूस की रात,\xa0कफ़न\xa0आदि कहानियाँ इसके उदाहरण हैं। साहित्य के बारे में प्रेमचंद का कहना है-‘‘ साहित्य वह जादू की लकड़ी है जो पशुओं में ईंट-पत्थरों में पेड़-पौधों में भी विश्व की आत्मा का दर्शन करा देती है। ”


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