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‘प्रकृति पुर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन’ इस पंक्ति का आशय समझाइए ।

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‘प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन’ इस पंक्ति का आशय है कि आज मनुष्य या पुरुष प्रकृति पर विजय पाया है। प्रकृति के संपत्ति को अपने वश में कर लिया है। प्रकृति में पानी, पवन, विद्युत् सब पर मनुष्य ने अपना अधिकार स्थापित किया है।



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