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प्रश्न ३१०गुजराती में अनुवाद कीजिए:चंद्रशेखर एक ऐसे ही व्यक्ति, ऐसी ही घटना और ऐसी ही परिस्थिति थे। उनकी स्मृति मन कापुण्य है। मेरी न जाने कितनी बार उनसे भेंट हुई होगी। मेरे छोटेभाई के मित्र होने के कारणों से वेमुझे हमेशा भईया कहा करते थे। क्रांतिकारी लोग वचन के बड़े कृपण और मंतव्य के बड़े गोप्यहोते थे, पर उन्होंने अपना समझकर मुझ से कभी दुराव नहीं रखा। उन्हें भय बिलकुल न था। वेनिश्चिन्त थे कि वे जीते-जी किसी के हाथों नहीं आ सकते। कटी से लटकते हुए दो भाउंजरपिस्तोल और कंधे पर पड़ी हुई कारतूस की पेटी पर उनका पूरा भरोसा था।​

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