1.

प्रस्तावना दिशासूचक यंत्र के समान है ।

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कानून के किसी भी भाग या जानकारी में अस्पष्टता या विसंगति उत्पन्न हो, कानून का उद्देश्य स्पष्ट न होता हो तो उस समय प्रस्तावना कानून को समझने तथा अर्थघटन करने में सहायक सिद्ध होती है । इस प्रकार संविधान में समाहित प्रावधानों को समझने में एक दिशा सूचकयंत्र की भूमिका निभाती हैं ।



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