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प्रस्तुत कविता में कवि की सौंदर्य की नैसर्गिता का वर्णन कीजिए ।

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बादल को घिरते देखा है’ कविता में कवि नागार्जुन ने प्रकृति के कई मनोहर चित्र खींचे हैं। हिमालय के उज्ज्वल शिखर तो देखते ही बनते हैं। उन पर पावस ऋतु के बादलों को घिरना भी बड़ा मनोरम लगता है। मानसरोवर झील में सुनहरे कमल खिले हुए हैं। उन। पर बादलों से गिरते मोती जैसे जलकण अपूर्व शोभा प्रदान करते हैं। झीलों में तैरते हए हंसों को देखना अच्छा लगता है। वसंत के प्रभाव की सुंदरता निराली है। मंद-मंद, शीतल पवन का स्पश बड़ा सुहावना लगता है। बाल-सूर्य की कोमल किरणों का सुनहरा प्रकाश पर्वत-शिखरों को भी स्वर्णिम बना देता है। इस प्रकार कविता में वर्णित सौंदर्य की नैसर्गिकता अत्यंत स्वाभाविक और हृदयस्पर्शी है।



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