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Answer» पृथ्वी की उत्पत्ति सम्बन्धी सिद्धान्त/परिकल्पनाएँ पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में दो मत प्रचलित हैं-धार्मिक तथा वैज्ञानिक। आधुनिक युग में धार्मिक मत को मान्यता नहीं है, क्योंकि वे तर्क की कसौटी पर खरे नहीं उतरते, वे पूर्णत: कल्पना पर आधारित हैं। पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में सर्वप्रथम तर्कपूर्ण व वैज्ञानिक परिकल्पना का प्रतिपादन 1749 ई० में फ्रांसीसी विद्वान कास्ते-दे-बफन द्वारा किया गया था। इसके बाद अनेक विद्वानों ने अपने मत प्रस्तुत किए। परिणामतः अब तक अनेक परिकल्पनाओं तथा सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया जा चुका है। पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में वैज्ञानिक मतों के दो वर्ग हैं (A) अद्वैतवादी या एकतारकवादी परिकल्पना (Monistic Hypothesis), (B) द्वैतवादी या द्वितारकवादी परिकल्पना (Dualistic Hypothesis)। (A) अद्वैतवादी परिकल्पना-इस परिकल्पना में पृथ्वी की उत्पत्ति एक तारे से मानी जाती है। इस परिकल्पना के आधार पर कास्ते-दे-बफन, इमैनुअल काण्ट, लाप्लास, रोशे व लॉकियर ने अपने सिद्धान्त प्रस्तुत किए। (B) द्वैतवादी परिकल्पना-एकतारक परिकल्पना के विपरीत इस विचारधारा के अनुसार ग्रहों या पृथ्वी की उत्पत्ति एक या अधिक विशेषकर दो तारों के संयोग से मानी जाती है। इसी कारण इस संकल्पना को ‘Bi-parental Concept’ भी कहते हैं। इस परिकल्पना के अन्तर्गत निम्नलिखित विद्वानों ने अपने-अपने सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है– ⦁ चैम्बरलेन की ग्रहाणु परिकल्पना। ⦁ जेम्स जीन्स की ज्वारीय परिकल्पना। ⦁ रसेल की द्वितारक परिकल्पना।। ⦁ होयल तथा लिटिलटने का सिद्धान्त। ⦁ ओटोश्मिड की अन्तरतारक धूल परिकल्पना। ⦁ बिग बैंग तथा स्फीति सिद्धान्त।
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