InterviewSolution
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'पर्यावरण की शद्धता स्वास्थ्य के लिए लाभदायकहै वि षय पर मित्र से होने वाली बातचीत कोसंवाद के रूप में लिखिए। please I want in hindi and not too long or short if you know then write or if you don't then pls don't reply |
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Answer» पर्यावरण का संकट हमारे लिए एक चुनौती के रुप में उभर रहा है. संरक्षण के लिए अब तक बने सारे कानून और नियम सिर्फ किताबी साबित हो रहे हैं. पारस्थितिकी असंतुलन को हम आज भी नहीं समझ पा रहे हैं. पूरा देश जल संकट से जूझ रहा है. जंगल आग की भेंट चढ़ रहे हैं. प्राकृतिक असंतुलन की वजह से पहाड़ में तबाही आ रही है. पहाड़ों की रानी कही जाने वाले शिमला में बूंद-बूंद पानी के लिए लोग तरस रहे हैं. आर्थिक उदारीकरण और उपभोक्तावाद की संस्कृति गांव से लेकर शहरों तक को निगल रही है. प्लास्टिक कचरे का बढ़ता अंबार मानवीय सभ्यता के लिए सबसे बड़े संकट के रुप में उभर रहा है. आर्थिक उदारीकरण है मूल वजह भारत में प्लास्टिक का प्रवेश लगभग 60 के दशक में हुआ. आज स्थिति यह हो गई है कि 60 साल में यह पहाड़ के शक्ल में बदल गया है. दो से तीन साल पहले भारत में अकेले आटोमोबाइल क्षेत्र में इसका उपयोग पांच हजार टन वार्षिक था संभावना यह जताई गयी भी कि इसी तरफ उपयोग बढ़ता रहा तो जल्द ही यह 22 हजार टन तक पहुंच जाएगा. भारत में जिन इकाईयों के पास यह दोबारा रिसाइकिल के लिए जाता है वहां प्रतिदिन 1,000 टन प्लास्टिक कचरा जमा होता है. जिसका 75 फीसदी भाग कम मूल्य की चप्पलों के निर्माण में खपता है. 1991 में भारत में इसका उत्पादन नौ लाख टन था. आर्थिक उदारीकरण की वजह से प्लास्टिक को अधिक बढ़ावा मिल रहा है. 2014 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार समुद्र में प्लास्टि कचरे के रुप में 5,000 अरब टुकड़े तैर रहे हैं. अधिक वक्त बीतने के बाद यह टुकड़े माइक्रो प्लास्टिक में तब्दील हो गए हैं. जीव विज्ञानियों के अनुसार समुद्र तल पर तैरने वाला यह भाग कुल प्लास्टिक का सिर्फ एक फीसदी है. जबकि 99 फीसदी समुद्री जीवों के पेट में है या फिर समुद्र तल में छुपा है. |
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