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Putr or putrvadhu k prati kisaan ka kya drishtikon tha.? Kya vo uchit tha apne sabdon me btaen

Answer» किसान पुत्र को अधिक महत्व देता है। उसकी याद के कारण उसकी छाती फटने लगती है तथा साँप लोटने लगता है। वह उसे अपना प्रमुख सहारा समझता था। पुत्रवधू को पुत्र के जीवित रहते हुए ही सम्मान मिलता था। पुत्र के मरने के बाद वह उसे पति घातिनी कहने लगा। वह स्त्री को पैर की जूती के समान समझता है। उसकी मान्यता है कि एक स्त्री जाती है तो दूसरी आ जाती है।


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