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Answer» •संस्कृत में संबोधन को छोड़कर सात विभक्तियां , 3 लिंग एवं तीन वचन होते हैं ।
विभक्तियां -प्रथमा, द्वितीया , तृतीया, चतुर्थी ,पंचमी, षष्टी, सप्तमी , संबोधन ।
•संस्कृत में छह कारक होते हैं - कर्ता, कर्म ,करण, संप्रदान अपादान, अधिकरण।
•कारक को प्रकट करने के लिए शब्द के साथ जो प्रत्यय जोड़ा जाता है उसे विभक्ति कहते हैं।
•संस्कृत में तीन वचन होते हैं - एकवचन >> जिससे एक वस्तु का बोध हो , द्विवचन >> जिसमें दो वस्तुओं का बोध हो तथा बहुवचन >> जिससे अनेक वस्तुओं का बोध हो।
•लिंग : संस्कृत भाषा में 3 लिंग होते हैं। सामान्यता पुरुष जाति का बोध कराने वाले शब्द पुल्लिंग में , स्त्री जाति का बोध कराने वाले शब्द स्त्रीलिंग में तथा अन्य शब्द नपुसंकलिंग में होते हैं।
•संस्कृत में छह कारक होते हैं - कर्ता, कर्म ,करण, संप्रदान अपादान, अधिकरण।
•कारक को प्रकट करने के लिए शब्द के साथ जो प्रत्यय जोड़ा जाता है उसे विभक्ति कहते हैं।
उत्तराणि :- विभक्ति: ---- प्रथमा एकवचनम् ----भानु: द्विवचनम् ---- भानू बहुवचनम् ---- भानव:
विभक्ति: ---- द्वितीया एकवचनम् ---- गुरुम् द्विवचनम् ---- गुरू बहुवचनम् ---- गुरून्
विभक्ति: ---- तृतीया एकवचनम् ---- पशुना द्विवचनम् ---- पशुभ्याम् बहुवचनम् ---- पशुभि:
विभक्ति: ---- चतुर्थी एकवचनम् ---- साधवे द्विवचनम् ---- साधुभ्याम् बहुवचनम् ---- साधुभ्य:
विभक्ति: ---- पंचमी एकवचनम् ---- वटो: द्विवचनम् ---- वटुभ्याम् बहुवचनम् ---- वटुभ्य:
विभक्ति: ---- षष्टी एकवचनम् ---- विभो: द्विवचनम् ---- विभ्वो: बहुवचनम् ---- विभूनाम्
विभक्ति: ---- सप्तमी एकवचनम् ---- शिशौ द्विवचनम् ---- शिश्वो: बहुवचनम् ---- शिशषु
विभक्ति: ---- संबोधन एकवचनम् ---- हे विष्णो! द्विवचनम् ---- हे विष्णु बहुवचनम् ---- हे विष्णव:
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