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राजा भगत का तुलसीदास से मिलने का क्या उद्देश्य था? वे कहाँ तक सफल रहे?

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राजा भगत अपने साथ रत्नावली को लाये थे। उनका उद्देश्य था कि रत्नावली तुलसी के पास ही रहें। किन्तु वे अपने उद्देश्य में सफल नहीं हुए। यद्यपि तुलसी के मन में रत्नावली के प्रति स्नेह था। किन्तु उनके हृदय में अन्तर्द्वन्द्व था। कभी वे रत्नावली की ओर झुकते तो कभी राम की भक्ति की ओर मुड़ जाते। अन्त में उन्होंने रत्नावली को मठ से चले जाने के लिए कह दिया। राजा भगत का जो उद्देश्य था वह पूरा नहीं हुआ। वैराग्य के कारण तुलसी ने रत्नावली को स्वीकार नहीं किया।



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