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Rahim Ke Dohe for class 9th all

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ANSWER:

रहीम के दोहों  में नैतिक मूल्यों की सुंदर व्यंजना हुई है , इसमें मनुष्य के व्यवहार के ढंग या तरीका है जिसके अनुसार जीवन चर्या का संचालन होता है। नैतिक मूल्यों  से ही व्यक्ति से विश्व तक, जीवन के सभी क्षेत्रों में होता है। व्यक्ति-परिवार, समुदाय, समाज, राष्ट्र से मानवता तक नैतिक मूल्यों की पहचान  होती है।  

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।

टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय॥

रहीम जी कहते है प्रेम का बंधन की तुलना एक धागे से की है जिसे एक दम से तोड़ा नहीं जाता| हमें प्रेम की इज्ज़त करनी चाहिए उसे प्यार से रखना चाहिए | एक बार जब यह टूट जाता है तो जुड़ता नहीं है| जैसे एक बार धागा टूट जाता फिर उसे जोड़ने के लिए उसे गाँठ देनी पड़ती है , वैसे रिश्ते टटूट जाते वह अच्छे से नहीं जुड़ते |

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।

सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहै कोय॥

रहीम जी कहते है हमें अपने दर्द को दूसरों को नहीं बताना चाहिए | जब हम अपना  दर्द किसी अन्य बताते है तो लोग उसका मजाक ही उड़ाते हैं। कोई भी हमारे दर्द को बाँट नहीं सकता।  

एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।

रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय॥

रहीम जी कहते है हमें एक समय में एक बार में एक ही कार्य ही करना चाहिए तभी हमें सफलता मिलती है | हमें एक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी चाहिए | एक साथ सारे काम करेंगे तो सफलता नहीं मिलेगी |



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