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रहीम ने कैसे व्यक्ति को दीनबंधु’ के समान माना है?

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रहीम का मानना है कि जो व्यक्ति दीनजनों पर ध्यान देता है, उनकी सहायता करता है, वह दीनबंधु अर्थात् भगवान के समान होता है।



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