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रिज़र्व बैंक की स्थापना के क्या उद्देश्य थे? इसकी सफलताओं व असफलताओं का वर्णन कीजिए।

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रिज़र्व बैंक की स्थापना के उद्देश्य भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना के उद्देश्य निम्नलिखित हैं

⦁    कृषि साख की समुचित व्यवस्था करना।
⦁    देश में सुव्यवस्थित एवं सन्तुलित रूप से बैंकिंग का विकास करना।
⦁    अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग स्थापित करना।
⦁    देश में मुद्रा तथा साख का समुचित प्रबन्ध करना।
⦁    सार्वजनिक ऋणों की व्यवस्था करना।
⦁    सुसंगठित मुद्रा बाजार का विकास करना।
⦁    रुपये के आन्तरिक व बाह्य मूल्य में स्थिरता लाना।

भारतीय रिज़र्व बैंक की सफलताएँ या महत्त्व भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना से लेकर अब तक यह देश के केन्द्रीय बैंक के रूप में कार्य कर रहा है। देश की बैंकिंग व्यवस्था को सदढ़ करने, विकास के लिए वित्त उपलब्ध करवाने और देश की मौद्रिक एवं साख नीति का सफल संचालन करने में भारतीय रिज़र्व बैंक ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भारतीय रिज़र्व बैंक की प्रमुख सफलताएँ निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट की जा सकती हैं-

⦁    पत्र-मुद्रा निर्गमन पद्धति हमारे देश में भारतीय रिज़र्व बैंक को नोट निर्गमन का अधिकार है। यह न्यूनतम कोष निधि प्रणाली के आधार पर पत्र-मुद्रा का उचित रूप से निर्गमन करता है। रिज़र्व बैंक ने नोट-निर्गमन की उचित नीति का अनुसरण कर सफलता प्राप्त की है। (2010)

⦁    सरकारी बैंकर के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक प्रारम्भ से ही सरकारी  बैंक के रूप में कार्य कर रहा है। यह सरकार की सम्पूर्ण जमाएँ अपने पास रखता है। व समय-समय पर ऋण उपलब्ध करवाता है। इस आधार पर यह सरकारी बैंकर के रूप में सफल रहा है।

⦁    सरकार के सलाहकार के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक सरकार को समय-समय पर मौद्रिक, वित्तीय एवं साख के मामलों में सलाह प्रदान करता है।

⦁    कृषि वित्त व्यवस्था भारत कृषि-प्रधान देश है। अतः कृषि की वित्त व्यवस्था के लिए सरकार ने यह कार्य भारतीय रिज़र्व बैंक को सौंपा है। इसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने अलग से सन् 1982 में नाबार्ड बैंक की स्थापना की थी।

⦁    धन हस्तान्तरण की सुविधा भारतीय रिज़र्व बैंक केन्द्र, राज्य व अर्द्ध-सरकारी संस्थाओं के धन का नि:शुल्क हस्तान्तरण भी करता है।

⦁    समाशोधन-गृहों की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक ने 900 केन्द्रों में समाशोधन-गृहों की स्थापना कर सफल संचालन किया है।

⦁    साख नियन्त्रण नीति भारतीय रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक स्थिरता को कायम करने के लिए साख नियन्त्रण की नीति अपनाई है, जिसमें वह सफल रहा है।

⦁    आँकड़ों का प्रकाशन भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा रिज़र्व बैंक बुलेटिन में मुद्रा, मूल्य, वित्त, आदि से सम्बन्धित अनेक प्रकार के समंक प्रकाशित किए जाते हैं।

⦁    रुपये का बाह्य मूल्य स्थिर रिज़र्व बैंक ने रुपये के बाह्य मूल्य को स्थिर रखने में भी सफलता प्राप्त की है।

भारतीय रिज़र्व बैंक की असफलताएँ भारतीय रिज़र्व बैंक की असफलताएँ निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट की जा सकती हैं

⦁    मुद्रा प्रसार को रोकने में असफल भारतीय रिज़र्व बैंक पर यह आरोप है। कि वह देश में मुद्रा प्रसार को रोकने में सफल नहीं हुआ है। इससे देश में वस्तुओं के मूल्यों में लगातार वृद्धि हो रही है।

⦁    सुदृढ़ बैंकिंग व्यवस्था का अभाव भारतीय रिज़र्व बैंक अपने कार्यकाल में भारत की बैंकिंग प्रणाली को यथेष्ट सुदृढ़ता प्रदान नहीं कर सका है।

⦁    विनिमय दर में अस्थिरता भारतीय रिज़र्व बैंक भारतीय रुपये का मूल्य स्थायी रखने में सफल नहीं हुआ है। इस प्रकार यह विनिमय दर को स्थिर रखने में भी असफल रहा है।

⦁    ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाओं की कमी भारतीय रिज़र्व बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग शाखाओं के विस्तार में असफल रही है।

⦁    विकसित बिल बाजार का अभाव भारतीय रिज़र्व बैंक देश में एक सुसंगठित, विकसित तथा विस्तृत बिल बाजार की स्थापना करने में पूर्ण रूप से सफल नहीं हुआ है।

⦁    देशी बैंकरों पर नियन्त्रण का अभाव भारतीय रिज़र्व बैंक देशी बैंकरों पर अब तक भी नियन्त्रण नहीं कर सका है, जिससे आज भी मुद्रा बाजार की ब्याज दरों में एकरूपता नहीं पाई जाती है।

⦁    विदेशी व्यापार में भारतीय बैंकों की उपेक्षा भारतीय बैंकों का भारत के  विदेशी व्यापार के वित्तीय प्रबन्ध में आज भी नगण्य स्थान है। यह बैंक आज भी भारतीय बैंकों को विदेशी व्यापार में उचित स्थान दिलाने में सफल नहीं हो पाया है।



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