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सादा जीवन उच्च विचार यह मुहावरा सुनने में कितना मनमोहक है, परंतु इसके अनुरूप जीवन को ढालना अत्यंत कठिन है। इस मुहावरे को साकार कर जीवन में उतारने वाले डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन उन महापुरुषों की श्रेणी में आते हैं जिनकी कथनी और करनी में कोई अंतर न था वह जो कहते थे उसे करके ही दम लेते थे।डॉ राधाकृष्णन ने जीवन को कठिन तपस्या के रूप में लिया और स्वयं को इस की आग में तपा कर कुंदन बना लिया। तदंतर उन की चमक से संपूर्ण विश्व प्रकाशित हो उठा वह किसी राजनीतिक दल अथवा भाषणों के बल पर दुनिया में पूज्यनीय नहीं हुए, बल्कि उन्होंने इस सम्मान और ऊंचाइयों को अपनी योग्यता के बल पर प्राप्त किया। उनका जीवन एक शिक्षक के रूप में आरंभ हुआ था, लेकिन अपनी बौद्धिकता और योग्यता के बल पर उन्होंने एक महान दार्शनिक और लेखक के रूप में ख्याति अर्जित की।साथ ही वे एक ओजस्वी वक्ता के रूप में भी पहचाने गए जब डॉक्टर राधाकृष्ण राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए तो उन्हें ₹10000 मासिक वेतन मिलता। लेकिन वे मात्र ढाई हजार रुपए मासिक वेतन लेते। उनके वेतन की शेष राशि देश की उन्नति और विकास कार्यों में खर्च होती थी। डॉ राधाकृष्णन देश के प्रति समर्पित व्यक्ति थेइस गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक हैराष्ट्रपति राधाकृष्णनसादा जीवन, अच्छे विचारडॉ राधाकृष्णन : एक विराट व्यक्तित्व।महान दार्शनिक​

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ANSWER:

बिल्कुल सत्य कथन है

Explanation:

कभी कभी स्वामी विवेकानंद हो या राधा कृष्णा जी का जीवन में जो कहेगी बातें बिल्कुल सत्य है, और विद्यार्थी जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक है



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