1.

सामाजिक परिवर्तन में मनोवैज्ञानिक कारकों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।

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चूँकि समस्त मानव-सम्बन्ध मानव-मस्तिष्क की उपज हैं अतः सामाजिक सम्बन्धों में परिवर्तन मानव-मस्तिष्क में परिवर्तन के कारण होते हैं। मानव में जिज्ञासा की प्रवृत्ति पायी जाती है। इस प्रवृत्ति ने ही मानव को आविष्कार करने एवं अज्ञात को खोजने की प्रेरणा दी। मानव ने अनेक ऐसे आविष्कार किये जिन्होंने उसके जीवन को ही बदल दिया। जिज्ञासा के कारण ही वह चन्द्रमा पर पहुँचा, समुद्र की गहराई तक गया और दूर देशों की यात्रा की। मानव-मस्तिष्क नवीनता चाहता है, वह एक ही स्थिति से ऊब जाता है। इस ऊब से मुक्ति पाने के लिए ही मानव ने नये फैशने को जन्म दिया। मानसिक असन्तोष एवं संघर्ष सामाजिक सम्बन्धों को प्रभावित करते हैं। पारिवारिक विघटने एवं विवाह-विच्छेद का कारण परिवार के सदस्यों तथा पति-पत्नी का मानसिक अनुकूलन न हो पाना भी है। मानसिक तनाव सामाजिक सम्बन्धों को तोड़ देते हैं तथा लोगों में निराशा पैदा करते हैं। यह हत्या, आत्महत्या तथा अपराध के लिए भी उत्तरदायी है।



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