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सामान्य बीमा के प्रकार बताकर किन्हीं दो प्रकार के बारे में समझाइए ।

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सामान्य बीमा (General Insurance) :

जिन्दगी के अलावा अन्य चीज-वस्तुओं, माल-सामान, सम्पत्ति, वाहन, शिक्षा, शादी-विवाह, आदि प्रसंग में रकम मिले ऐसा बीमा, इनके अलावा लाभ-हानि का बीमा, शान का बीमा, तीसरे पक्ष का बीमा, धोखा-धड़ी के विरुद्ध का बीमा इत्यादि अनेक बीमे सामान्य बीमा निगम अथवा इनकी शाखाओं में उतरवाये जाते हैं । ऐसे बीमे में ‘बीमा के चारों’ सिद्धान्त प्रायः लागू पड़ते हैं । इनमें निम्न बीमों का उल्लेख किया गया है ।

सामान्य बीमा के तीन प्रकार है :

(1) माल के हेर-फेर का बीमा
(2) आग का बीमा
(3) सामान्य बीमा

(1) माल के हेर-फेर का बीमा (Transpotation) :

ऐसा बीमा माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने तथा लाने में जोखिम तथा नुकसान की संभावना के सामने रक्षण हेतु लिया जानेवाला बीमा है जिसमें
(i) समुद्री बीमा (Marine Insurance)
(ii) हवाई बीमा (Air Insurance)
(iii) रेल-सड़क बीमा (Rail/ Road Insurance)

इत्यादि बीमे माल का परिवहन पूर्ण हो वहाँ तक निर्धारित समय तक माल को किसी भी प्रकार से नुकसान हो तो इसकी सुरक्षा के बदले में बीमाधारक द्वारा आवश्यक प्रीमियम भरने की शर्त पर किया गया करार माल के हेर-फेर का बीमा कहलाता है ।

(i) समुद्री बीमा (Marine Insurance) : समुद्री मार्ग के माध्यम से परिवहन काफी सस्ता, जोखिमपूर्ण, विलम्बकारी होता है । वर्तमान में विदेश-व्यापार का अधिकांश भाग (लगभग 90%) समुद्री मार्ग द्वारा होता है । समुद्री मार्ग से व्यापार के दौरान माल की चोरी हो जाना, माल का लूटा जाना, माल में आग लग जाना, माल का बदल जाना अथवा खराब हो जाना इत्यादि अनेक जोखिम रहते हैं । ऐसे जोखिमों के सामने रक्षण हेतु बीमा लिया जाता है । करार के अनुसार बीमाधारक निश्चित प्रीमियम के बदले में बीमा कम्पनी से नि समुद्री जोखिम होने पर या नुकसान होने पर आर्थिक क्षतिपूर्ति का वचन लेता है । समुद्री बीमे की विभिन्न तरह की पोलिसी होती हैं, जैसे – मूल्यांकित पॉलिसी, अमूल्यांकित पॉलिसी, सफर पॉलिसी, सफर एवं समय पॉलिसी, बन्दरगाह पॉलिसी इत्यादि । बीमे के चारों सिद्धान्त इसमें भी लागू पड़ते हैं।

समद्री बीमा के क्षेत्र में लॉइडज ऑफ लन्दन नाम की संस्था ने सर्वप्रथम बीमे की शुरूआत की । लॉइड्रज संस्था का कार्य ई.स. 1688 में एडवर्ड लॉइज द्वारा संचालित “लॉइड्रज ऑफ लन्दन” काफी हाऊस में हुआ था । इस संस्था ने 300 वर्ष से भी अधिक समय से अपनी विश्वसनीयता बनाकर रखी है ।

(ii) हवाई बीमा (Air Insurance) : हवाई मार्ग द्वारा माल भेजने का प्रारम्भ हुआ तभी से हवाई बीमा आरंभ हुआ । हवाई परिवहन में अधिक कीमत तथा कम वजनवाली वस्तुओं का लेन-देन किया जाता है । सड़क-परिवहन, समुद्री परिवहन की तुलना में हवाई परिवहन के बीमे का प्रीमियम दर अधिक (ऊँचा) होता है ।

(iii) रेल तथा सड़क परिवहन का बीमा (Railway & Road Insurance) : रेल एवं सड़क परिवहन द्वारा माल-सामान के परिवहन में माल के नुकसान होने का, खराब होने अथवा माल के बदल जाने का भय बना रहता है । ऐसे सम्भावित जोखिमों के सामने रक्षण प्राप्त करने हेतु ऐसा बीमा सुरक्षा प्रदान करता है ।

(2) आग का बीमा (Fire Insurance) :

धन्धाकीय एवं निजी माल-सामान व सम्पत्ति में आग से होनेवाले नुकसान के सामने रक्षण प्रदान करने हेतु ऐसा बीमा उतरवाया जाता है । इसकी अवधि प्राय: 1 वर्ष की होती है । आग के बीमे में बीमा योग्य हित के सिद्धान्त का आग्रहपूर्वक पालन किया जाता है । आग लगने के कारण की पूरी तरह जाँच की जाती है । यदि बीमा धारक ने स्वयं जान बूझकर आग लगाई होगी तो बीमा कम्पनी मुआवजा नहीं देगी । बीमा धारक को आग से सम्बन्धित सावधानी बरतनी होती है । इसमें निश्चित पॉलिसी, मूल्यांकित पॉलिसी, लाभ-हानि की पॉलिसियों का समावेश होता है ।

इनके अलावा वर्तमान समय में भूकंप, लूटफाट, चोरी, दुर्घटना, युद्ध जैसे अवसरों पर नुकसान के सामने रक्षण प्राप्त करने के लिए बीमा लिया जाता है ।

(3) अन्य सामान्य बीमा (Other General Insurance) :

बीमा व्यापार में नवीनता आने से बीमे का यह बहुत ही नया प्रकार अस्तित्व में आया है जिसमें शादी-विवाह, शिक्षा इत्यादि जैसे प्रसंगों पर रकम मिल सके, ऐसे उद्देश्य से बचत को अधिक प्रोत्साहन मिलता है । जैसे नर्तकी का पाँव, उसकी आय का सबसे अधिक महत्त्व का अंग होता है । उसको इस प्रकार का कोई भी जोखिम हो ऐसे अंग-प्रत्यंगों का बीमा, वाहन से अन्य तीसरे पक्षकार को नुकसान पहुँचे इस हेतु तीसरे पक्षकार का बीमा, कर्मचारी दुर्घटना बीमा, धन्धा बन्द रहने से लाभ के स्थान नुकसान का बीमा, कर्मचारीयों द्वारा धोखाधड़ी के लिए मालिकों को होनेवाला नुकसान का बीमा आदि ।

(4) स्वास्थ्य का बीमा (Mediclaim Insurance) :

किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य के बारे में हमेशा अनिश्चितता बनी रहती है । जब व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब हो जाय तो उसे बहुत बड़े पैमाने पर खर्च करना पड़ता है । अतः ऐसा बीमा लेनेवाले व्यक्ति निश्चित शर्त के अधीन बीमा कम्पनी से बीमारी के खर्च के सन्दर्भ में करार करते हैं, जिसके बदले में बीमाधारक को आवश्यक प्रीमियम भरना पड़ता है । यह पॉलिसी सामान्य रूप से प्रतिवर्ष नया प्रीमियम भर कर नवीनीकृत करवाना पड़ता है । इसमें जो प्रीमियम की रकम भरी जाती है वह रकम आयकर (Income Tax) की दृष्टि से लाभप्रद होती है ।



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