1.

Sanskrit assignmentplease help me fast urgently Last assignment of today then I'm free I will mark as brainliest please don't spam jaldi guys ​

Answer»

Explanation:

1)=उद्यमेन हि सिद्ध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।

यथा सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति न मुखेन मृगाः।।

अर्थ- कार्य उद्यम करने से पूर्ण होते हैं, मन में इच्छा करने से नहीं। जैसे सोते हुए शेर के मुंह में मृग अपने आप प्रवेश नहीं कर जाते।

2)=षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।

निद्रा तंद्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता।।

अर्थ– कल्याण की कामना रखने वाले पुरुष को निद्रा, तंद्रा, भय, क्रोध, आलस्य तथा दीर्घसूत्रता इन छ: दोषों का त्याग कर देना चाहिए।

3)=श्वः कार्यमद्य कुर्वीत पूर्वान्हे चापरान्हिकम्।

न हि प्रतीक्षते मृत्युः कृतमस्य न वा कृतम्।।

अर्थ- कल किया जाने वाला काम आज और सायंकाल में किया जाने वाला काम प्रातःकाल में ही पूरा कर लेना चाहिए। क्योंकि मृत्यु यह नहीं देखती कि इसका काम पूरा हुआ कि नहीं।

4)=न देवा दण्डमादाय रक्षन्ति पशुपालवत।

यं तु रक्षितमिच्छन्ति बुद्धया संविभजन्ति तम्।।

अर्थ=देवतालोग चरवाहों की तरह डंडा लेकर पहरा नहीं देते। उन्हें जिसकी रक्षा करनी होती है। उसे वे सद्बुद्धि प्रदान कर देते हैं।



Discussion

No Comment Found