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शान्तितुल्य : तपो नास्ति : न सन्तोषात परं सुखं न तृष्णाया: परो व्याधि: न च धर्मो दयापरः आलस्यं हि मनुष्याणांशरीरस्थो महान् रिपु :Iनास्त्युध्मसमो बन्धु : कृत्वा यम् नावसीदति II. (pls answer in hindi anuvad)(कृपया हिंदी मे अनुवाद लिखें )संस्कृत मे लिखा हैकक्षा - 7 वी का प्रशन hai​

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