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Answer» सम्राट अशोक की धर्माज्ञाओं को गोदकर लिख्खे गये शिलालेख विशिष्ट स्थान रखते है । - काष्ठशिल्प, पाषाण शिल्प आदि स्थापत्य कला के उत्तम नमूने है ।
- लकड़ी और पत्थर को बाड़ बनाकर दरवाजों पर सुंदर तोरण तराशे (खोदे) जाते थे । जो धर्म के आचरण पर बल देते है ।
- ऐसे शिलालेखों में पेशावर, देहरादून, थाणा, मुंबई, धौली और जोगड़ा (उड़ीसा) और चेन्नई के मुख्य है ।
- गुजरात में जामनगर में गिरनार की तलहटी में ऐसा शिलालेख है ।
- गुजरात के पालिताणा शेजेजय पर्वत पर जैन मंदिरों, अहमदाबाद के हठेसिंह जैन देरासर (ई.स. 1847) में संपूर्ण जानकारी देने वाले शिलालेख संस्कृत और गुजराती में खुदे हुए है ।
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