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शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ द्वारा रचित ‘युगवाणी’ कविता का सारांश संक्षेप में लिखिए।

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कवि श्रमिक एवं कृषक वर्ग को सम्बोधित करते हुए कहता है कि मैंने क्यारी-क्यारी में तुम्हारे ही पदचिह्नों के दर्शन किये हैं। तुमने परिश्रमपूर्वक जो क्यारियाँ बोयी थीं, उन पर बढ़ती हुई फसल में आज भी तुम्हारे श्रमशील कदम झाँकते दिखाई दे रहे हैं । विकास का यही नियम है, जगह-जगह मुस्कान बिखर जाती है। इतना कठिन परिश्रम करने पर भी सर्वहारा वर्ग परेशान है। कवि शासक एवं पूँजीपति वर्ग को चेतावनी देता है कि यदि तुम असहायों की मूल समस्या का समाधान करने की अपेक्षा इनके साथ खिलवाड़ करोगे तो तुम्हें समय कभी माफ नहीं करेगा। तुम्हारा अस्तित्व स्वयं खतरे में पड़ जायेगा।



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