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सहज अथवा प्रतिक्षेप क्रियाओं के प्रकारों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» सहज अथवा प्रतिक्षेप क्रियाएँ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं, जिनका संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है (1) शारीरिक प्रतिक्षेप (Physiological Reflexes)- ये वे सहज क्रियाएँ हैं जो स्वयं घटित होती हैं। इनके सम्पन्न होने में व्यक्ति को किसी प्रकार का प्रयास नहीं करना पड़ता और न ही इनके होने का ज्ञान ही होता है; जैसे—आँख पर चौंध पड़ते ही बिना किसी चेतना या ज्ञान के हमारी आँख की पुतली स्वत: सिकुड़ जाती है और आमाशय में भोजन पहुँचने के साथ-ही वहाँ ग्रन्थियों से स्राव होने लगता है। (2) सांवेदनिक प्रतिक्षेप (Sensation Reflexes)- इन सहज क्रियाओं का ज्ञान व्यक्ति को हो जाता है; उदाहरणार्थ-आँख में धूल पड़ने पर पलक का चेतन होकर झपकना, नाक में तिनका आदि छूने से छींक आना तथा गले में खराश होने पर खाँसी उठना। सांवेदनिक प्रतिक्षेप को चेष्टा या इच्छा-शक्ति द्वारा कुछ क्षणों के लिए रोक पाना सम्भव है, किन्तु नियन्त्रण हटते ही सहज क्रिया अधिक आवेग से होने लगती है। आवश्यकता पड़ने पर खाँसी को कुछ समय के लिए इच्छा शक्ति से रोका जा सकता है, किन्तु नियन्त्रण हटते ही अधिक बल से खाँसी आती है। |
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