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श्लोकांशान् योजयत − क ख (क) किं कुर्यात् कातरो युद्धे मृगात् सिंह: पलायते। (ख) विद्वद्भि: का सदा वन्घा अत्रैवोक्तं न बुध्यते। (ग) कं सञ्जघान कृष्ण: काशीतलवाहिनी गङ्गा। (घ) कथं विष्णुपदं प्रोक्तं तक्रं शक्रस्य दुर्लभम्।

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श्लोकांशान् योजयत



































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किं कुर्यात् कातरो युद्धे



मृगात् सिंह: पलायते।



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विद्वद्भि: का सदा वन्घा



अत्रैवोक्तं न बुध्यते।



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कं सञ्जघान कृष्ण:



काशीतलवाहिनी गङ्गा।



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कथं विष्णुपदं प्रोक्तं



तक्रं शक्रस्य दुर्लभम्।




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