| Answer» शरीर का लगभग 70% भाग जल होता है। जल को प्रायः सीधे पीकर ग्रहण किया जाता है। इसके अतिरिक्त भोजन, शाक-सब्जियों, फलों एवं पेय पदार्थों के माध्यम से भी जल शरीर में प्रवेशकरता है।
 उपयोगिता: प्यास शरीर की नैसर्गिक आवश्यकता है। जल द्वारा ही प्यास बुझती है।जल शरीर के तापक्रम को सामान्य बनाए रखता है।यह सर्वोत्तम विलायक है; अत: अधिकांश पौष्टिक तत्त्व इसमें घुलकर शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचते हैं। उत्सर्जन क्रिया में शरीर से विसर्जित होने वाले पदार्थ भी जल में घुलकर ही शरीर से पसीने व मल-मूत्र आदि के रूप में बाहर निकलते हैं।भोजन के पाचन व अवशोषण के लिए जल अति आवश्यक है।रक्त में लगभग 90% जल होता है।शरीर में विद्यमान विभिन्न ग्रन्थियों से कुछ रसों का स्राव होता है। इन रसों को तरलता प्रदान करने का कार्य जल ही करता है।जल हमारे शरीर की त्वचा को कोमल तथा चिकना बनाने में भी सहायकं होता है।जल के सेवन से व्यक्ति की सुस्ती, थकाने तथा उदासीनता भी दूर होती है।शारीरिक सफाई के लिए जल आवश्यक है। हम जल से ही स्नान करते हैं।
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