|
Answer» सीखने में पठारों के आने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं ⦁ जब शारीरिक क्षमता कम हो जाती है, तब सीखने में पठार बन जाता है। ⦁ जब उत्साह कम हो जाता है, तब उसके सीखने की प्रगति में अवरोध हो जाता है। ⦁ जब बालकों का ध्यान इधर-उधर भटकने लगता है, तब पठार बनने लगते हैं। ⦁ लगातार कार्य करते रहने से थकान उत्पन्न हो जाती है और पठार बन्ने लगते हैं। ⦁ सीखने की विधि में निरन्तर परिवर्तन करते रहने से भी पठार बन जाते हैं। ⦁ दूषित वातावरण भी पठारों के बनने का एक प्रमुख कारण है। ⦁ जब बालक सम्पूर्ण कार्य पर ध्यान न देकर उसके एक भाग पर ही ध्यान देने लगता है, तब उसके सीखने में पठार आ जाता है। ⦁ जब कोई क्रिया आरम्भ में सरल होती है, परन्तु बाद में कठिन तथा जटिल हो जाती है, तब सीखने में पठार आ जाता है। ⦁ सीखने की अनुचित विधि भी पठारों का कारण होती है। जब प्रभावहीन विधियों का प्रयोग किया जाता है, तब सीखने में पठार पैदा होने लगते हैं। ⦁ जब पुरानी आदतों को नयी आदतों में संघर्ष प्रारम्भ हो जाता है, तब भी सीखने में पठार बन जाते हैं। ⦁ रायबर्न (Ryburm) के अनुसार, “प्रत्येक व्यक्ति में अधिकतम कुशलता होती है, जिससे आगे वह अग्रसर नहीं हो सकता। यही शारीरिक सीमा कहलाती है। जब व्यक्ति इस सीमा पर पहुँच जाता है, तब उसके सीखने के पठार बन जाते हैं।”
|