

InterviewSolution
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समानुपातिक निर्वाचन प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं |
Answer» प्रत्येक पार्टी चुनावों से पहले अपने प्रत्याशियों की एक प्राथमिकता सूची जारी कर देती है और अपने उतने ही प्रत्याशियों को उस प्राथमिकता सूची से चुन लेती है जितनी सीटों का कोटा उसे दिया जाता है। चुनावों की इस व्यवस्था को ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली’ कहते हैं।इस\xa0प्रणाली में किसी पार्टी को उतनी ही प्रतिशत सीटें मिलती हैं जितने प्रतिशत उसे वोट मिलते हैं।समानुपातिक प्रतिनिधित्व\xa0के\xa0दो प्रकार होते हैं:-\xa0(i)\xa0कुछ\xa0देशों जैसे इज़राइल या नीदरलैंड में पूरे देश को एक निर्वाचन क्षेत्र\xa0माना जाता है और प्रत्येक पार्टी को राष्ट्रीय चुनावों में प्राप्त वोटों के\xa0अनुपात में सीटें दे दी जाती हैं।(ii) दूसरा तरीका अर्जेंटीना और पुर्तगाल में देखने को मिलता है जहाँ पूरे देश का\xa0बहु-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है। प्रत्येक पार्टी प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के\xa0लिए अपने प्रत्याशियों की एक सूची जारी करती है जिसमें उतने ही नाम होते हैं जितने प्रत्याशियों को उस निर्वाचन क्षेत्र\xa0से चुना जाना होता है। इन दोनों ही रूपों में मतदाता राजनीतिक दलों को वोट देते हैं न कि उनके प्रत्याशियों को। एक पार्टी को किसी निर्वाचन क्षेत्र\xa0में जितने मत प्राप्त होते हैं उसी आधर पर उसे उस निर्वाचन क्षेत्र\xa0में सीटें दे दी जाती हैं|\xa0 | |