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सन् 1857 ई. के विद्रोही नेता धुंधूपंत नाना साहब कानपुर में असफल होने पर जब भागने लगे, तो ये जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ न ले जा सके । देवी मैना बिठूर में पिता के महल में रहती थी; पर विद्रोह दमन करने के बाद अंग्रेजों ने बड़ी ही क्रूरता से उस निरीह और निरपराध देवी मैना को अग्नि में भस्म कर दिया । उसका रोमांचकारी वर्णन पाषाण हृदय को भी एक बार द्रवीभूत कर देता है ।।1. नाना साहब जल्दीबाजी में किसे अपने साथ न ले जा सके ?2. विद्रोही नेता धुंधूपंत नाना साहब क्यों भागने लगे थे ?3. अंग्रेजों ने किसे भस्म कर दिया ?4. देवी मैना कहाँ रहती थी ?5. ‘विद्रोह’ तथा ‘असफल’ शब्द का विलोम शब्द लिखिए : |
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Answer» 1. नाना साहब जल्दीबाजी में अपनी पुत्री मैना को अपने साथ न ले जा सके । 2. अंग्रेजों के विरुद्ध 1857 के युद्ध में नाना साहब की हार हुई थी, उन्होंने अंग्रेज नर-नारियों का संहार करवाया था और पकड़ जाने के भय से वे कानपुर त्यागकर भागने लगे थे । 3. अंग्रेजों ने नाना साहब की पुत्री मैना को भस्म कर दिया । 4. देवी मैना कानपुर के बिठूर में स्थित अपने पिता के महल में रहती थी । 5. विद्रोह × समर्थन |
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