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'संसार में दब्बू और रीढ़रहितलोगों के लिए कोई स्थान नहींहै', इसपर लगभग आठ से दसवाक्यों में अपने विचार लिखिए।​

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नमस्कार प्रभासाक्षी की स्पेशल सीरीज 'हैप्पीनेस मंत्र' में आज बात करेंगे भारतीय रहस्यवादी कवि और संत कबीर दास के उस दोहे कि जिसने जिंदगी में धैर्य के महत्व को समझाया। कबीर दास ने कहा था "धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।" इसका मतलब है कि मन में धीरज रखने से सब कुछ होता है। अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे, तब भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेगा! इस दोहे से उन्होंने ये कहने का प्रयास किया है कि हर चीज का एक सही समय होता है। उस चीज को उसी सही समय पर करना चाहिए। अगर कोई कोशिश आप सही समय पर नहीं कर रहे तो वह कोशिश नाकाम रहेगी।



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