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संत रैदास ने भगवान के प्रति अपना भक्तिभाव किन-किन रूपों में व्यक्त किया है?

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संत रैदास भगवान के एकनिष्ठ भक्त हैं। वे अपने आपको भगवान से विभिन्न रूपों में जोड़े रहना चाहते हैं। वे कहते हैं कि यदि प्रभु चंदन हैं, तो वे पानी है जिसका उपयोग चंदन घिसते समय किया जाता है। भगवान यदि बादल हैं, तो वे मोर हैं, जो बादल को देखकर मस्ती में आकर नाचने लगता है। प्रभु चंद्रमा हैं, तो रैदास चातक है, जिसका मन चंद्रमा को देखकर नहीं भरता। यदि प्रभु दीपक हैं, तो वे उसकी चाती हैं, जो अपने आपको जलाती रहती है। भगवान मोती हैं, तो संत रैदास वह धागा हैं, जिसमें मोती पिरोया जाता है। प्रभु सोना हैं, तो रैदास सुहागा हैं। यदि भगवान स्वामी हैं, तो रैदास उनके दास बनने में अपने आपको धन्य मानते हैं।



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