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‘संविधान की प्रस्तावना’ का क्या अर्थ है ? इसका महत्त्व लिखिए।

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संविधान की प्रस्तावना किसी पुस्तक की भूमिका की तरह है। यह संविधान की भावना को परिलक्षित करती है। यह उस खिड़की की भॉति है जिसमें झाँककर संविधान निर्माताओं के मन्तव्य को पढ़ा तथा समझा जा सकता है। दूसरे शब्दों में, प्रस्तावना में संविधान के आधारभूत आदर्शों तथा सिद्धान्तों की चर्चा की गयी है। यह उल्लेखनीय है कि प्रस्तावना संविधान का आरम्भिक अंग होते हुए भी कानूनी तौर पर उसका भाग नहीं होती। यद्यपि प्रस्तावना की अवहेलना होती है तो उसकी रक्षा के लिए हम अदालत की शरण में नहीं जा सकते, तथापि यह बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि –

⦁    यह संकेत करती है कि देश की सरकार कैसे चलायी जाए।
⦁    इसमें सरकार के सम्मुख नये समाज के निर्माण हेतु उद्देश्यों को स्पष्ट किया गया है।
⦁    इससे यह पता चलता है कि संविधान देश में किस प्रकार की शासन-व्यवस्था स्थापित करना चाहता है।



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