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Answer» संयुक्त राष्ट्र संघ के सुधारों में भारत की भूमिका भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के ढाँचे में सुधार के मुद्दे का निम्नलिखित आधारों पर समर्थन किया है ⦁ संयुक्त राष्ट्र संघ की मजबूती पर बल-बदलते हुए विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ की मजबूती और दृढ़ता आवश्यक है। ⦁ विकास के मुद्दे पर बल-संयुक्त राष्ट्र संघ विभिन्न देशों के बीच सहयोग बढ़ाने और विकास को बढ़ावा देने में ज्यादा बड़ी भूमिका निभाए। ⦁ सुरक्षा परिषद् की संरचना में सुधार किया जाए-इस सन्दर्भ में भारत के प्रमुख तर्क निम्नलिखित- ⦁ सुरक्षा परिषद् की संरचना प्रतिनिधिमूलक हो-भारत का तर्क है कि सुरक्षा परिषद् का विस्तार करने पर वह ज्यादा प्रतिनिधिमूलक होगी तथा उसे विश्व बिरादरी का अधिक समर्थन मिलेगा। ⦁ सुरक्षा परिषद् में विकासशील देशों की संख्या बढ़ाई जाए–संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में ज्यादातर विकासशील सदस्य देश हैं। इसलिए सुरक्षा परिषद् में उनका यथोचित प्रतिनिधित्व होना चाहिए। ⦁ सुरक्षा परिषद् की गतिविधियों का दायरा बढ़ा है-सुरक्षा परिषद् के काम-काज की सफलता विश्व-बिरादरी के समर्थन पर निर्भर है। इस कारण सुरक्षा परिषद् के पुनर्गठन की कोई योजना व्यापक धरातल पर बननी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की भूमिका 24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई। भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रारम्भिक सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की भूमिका को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है- ⦁ संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता बढ़ाने में भारत की भूमिका-भारत की सदा ही यह नीति रही है कि विश्व शान्ति को बनाए रखने के लिए तथा संयुक्त राष्ट्र संघ की सफलता के लिए संसार के सभी देशों को सदस्य बनना चाहिए। ⦁ संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंगों में भारत की भूमिका-संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंगों तथा विशेष अभिकरणों में भारत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है। ⦁ अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सुरक्षा की दृष्टि से भारत का योगदान-भारत ने विश्व शान्ति एवं सुरक्षा को बनाए रखने में संयुक्त राष्ट्र संघ में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उसने कोरिया समस्या के समाधान, स्वेज नहर की समस्या, कांगो की समस्या के समाधान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है। ⦁ उपनिवेशवाद तथा रंगभेद की नीति का विरोध-भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में उपनिवेशवाद तथा रंगभेद की नीति के विरुद्ध आवाज उठायी है। ⦁ निःशस्त्रीकरण के प्रयास-भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के नि:शस्त्रीकरण सम्बन्धी प्रयासों का हमेशा समर्थन किया है। ⦁ मानवाधिकारों का समर्थन-भारत ने अपने नागरिकों को लगभग वे सभी अधिकार प्रदान किए हैं, जो संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित किए गए हैं। ⦁ गुटनिरपेक्ष आन्दोलन-भारत ने शीतयुद्ध काल में गुटनिरपेक्षता की नीति को सामने रखकर गुटनिरपेक्ष आन्दोलन को मजबूत बनाया तथा संयुक्त राष्ट्र संघ को पूरी तरह से दो गुटों में विभक्त होने से बचाया।
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