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सोलहवीं शताब्दी के आरम्भ में पंजाब की राजनीतिक दशा की विवेचना कीजिए।

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सोलहवीं शताब्दी के आरम्भ में पंजाब का राजनीतिक वातावरण बड़ा शोचनीय चित्र प्रस्तुत करता है। उन दिनों यह प्रदेश लाहौर प्रान्त के नाम से जाना जाता था और यह दिल्ली सल्तनत का अंग था। इस काल में दिल्ली के सभी सुल्तान (सिकन्दर लोधी, इब्राहिम लोधी) निरंकुश थे। उनके अधीन पंजाब में राजनीतिक अराजकता फैली हुई थी। सारा प्रदेश षड्यन्त्रों का अखाड़ा बना हुआ था। पूरे पंजाब में अन्याय का नंगा नाच हो रहा था। शासक वर्ग भोगविलास में मग्न था। सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचारी हो चुके थे और वे अपने कर्तव्य का पालन नहीं करते थे। इन परिस्थितियों में उनसे न्याय की आशा करना व्यर्थ था। गुरु नानक देव जी ने कहा था कि न्याय दुनिया से उड़ गया है। भाई गुरुदः । श्री इस समय में पंजाब में फैले भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का वर्णन किया है।



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