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सर्वप्रथम भारत में कब और कहां सार्वभौमिक मताधिकार का प्रयोग किया गया ?​

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सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का काल क्रमवर्ष देश वर्ष देश1893 न्यूजीलैंड 1917 रूस1918 जर्मनी 1919 नीदरलैंड1928 ब्रिटेन 1931 श्रीलंका1934 तुर्की 1944 फ्रांस1945 जापान 1950 भारत1951 अर्जेंटीना 1952 यूनान1955 मलेशिया 1962 आस्ट्रेलिया1965 अमेरिका 1978 स्पेन1994 दक्षिण अफ्रीकासार्वभौमिक वयस्क मताधिकार अथवा सार्वभौम मताधिकारउन्नीसवीं सदी में लोकतंत्र के लिए होने वाले संघर्ष अकसर राजनीतिक समानता, आज़ादी और न्याय जैसे मूल्यों को लेकर ही होते थे। एक मुख्य माँग यह रहा करती थी कि सभी वयस्क नागरिकों को मतदान का अधिकार हो।यूरोप के जो देश तब लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाते जा रहे थे वे सभी लोगों को वोट देने की अनुमति नहीं देते थे। कुछ देशों में केवल उन्हीं लोगों को वोट का अधिकार था, जिनके पास सम्पत्ति थी। अकसर महिलाओं को तो वोट का अधिकार मिलता ही नहीं था।संयुक्त राज्य अमरीका में पूरे देश में अश्वेतों को 1965 तक मतदान का अधिकार नहीं था। लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले लोग सभी वयस्कों-औरत या मर्द, अमीर या ग़रीब, श्वेत या अश्वेत-को मतदान का अधिकार देने की माँग कर रहे थे। इसे 'सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार' या 'सार्वभौम मताधिकार' कहा जाता है।भारत में 1950 में सार्वभौम मताधिकार की उम्र 21 थी, लेकिन 1989 में यह घटकर 18 वर्ष रह गयी।[1]



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