InterviewSolution
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ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:औरों के हाथों यहाँ नहीं पलती हूँ,अपने पैरों पर खड़ी आप चलती हूँ,श्रमवारि-बिन्दु फल स्वास्थ्य-शुक्ति फलती हूँअपने अचल से व्यंजन आप झलती हूँ। |
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Answer» प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘कुटिया में राजभवन’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता मैथिलीशरण गुप्त हैं। |
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