InterviewSolution
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                                    ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:जीवन में न निराशा मुझको,कभी रुलाने को आई।‘जग झूठा है’ यह विरक्ति भी,नहीं सिखाने को आई॥ | 
                            
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Answer»  प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘उल्लास’ नामक कविता से ली गई हैं जिसकी रचयिता कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान हैं।  | 
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