InterviewSolution
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ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:कहता है कौन कि भाग्य ठगा है मेरा?वह सुना हुआ भय दूर भगा है मेरा।कुंछ करने में अब हाथ लगा है मेरा,वन में ही तो गार्हस्थ्य जगा है मेरा। |
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Answer» प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘कुटिया में राजभवन’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता मैथिलीशरण गुप्त हैं। |
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