1.

ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए।“हमारा यह ध्येय हो कि राष्ट्र में जितने हाथ हैं, उनमें से कोई भी इस कार्य में भाग लिए बिना रीता न रहे|

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘राष्ट्र का स्वरूप’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक वासुदेवशरण अग्रवाल हैं।
संदर्भ : लेखक राष्ट्र की प्रगति के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता के बारे में बता रहे हैं।
स्पष्टीकरण : वासुदेवशरण अग्रवाल राष्ट्र के विकास के लिए जन की भागीदारी को रेखांकित करते हुए कह रहे हैं कि विज्ञान और परिश्रम को मिलाकर हमें राष्ट्र के विकसित स्वरूप को तैयार करना है। वे कहते हैं, यह कार्य प्रसन्नता, उत्साह और बिना थके परिश्रम करते हुए हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि राष्ट्र के भीतर जितने भी लोग हैं उनमें से कोई भी इस प्रयास में खाली न रहें।



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