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ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए।“इसी दृढ़ चट्टान पर राष्ट्र का चिर जीवन आश्रित रहता है।” 

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘राष्ट्र का स्वरूप’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक वासुदेवशरण अग्रवाल हैं।
संदर्भ : लेखक कहते हैं कि – मातृभूमि के प्रति प्रणाम भाव ही राष्ट्रीय चेतना के विकास में सहायक होता है।
स्पष्टीकरण : जन का मातृभूमि के प्रति लगाव, उसके प्रति प्रणाम का भाव या मातृभूमि के साथ माँ और पुत्र के रिश्ते को स्वीकार करने का भाव ही एक राष्ट्र के रूप में विकसित होता है। लेखक कहते हैं – जिस समय भी जन का हृदय भूमि के साथ माता और पुत्र के संबंध को पहचानता है उसी क्षण उसके भीतर ‘माता पृथ्वी को प्रणाम है’ का भाव प्रकट होता है। भूमि और जन के इसी रिश्ते की दीवार पर राष्ट्र का भवन तैयार किया जाता है।



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