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ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:“वर्षों का समय बीत जाने फ भी पारसी सराय में मेरे साथ हुए दुर्व्यवहार का स्मरण करते ही मेरी आँखों में आँसू छलक पड़ते हैं।”

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प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक शान्ति स्वरूप बौद्ध हैं।
संदर्भ : बड़ौदा महाराज की नोकरी करते हुए डॉ. अंबेडकर को अनेक अपमान सहने पड़े थे। उनमें से एक घटना पारसी सराय में रहते हुए अंबेडकर के साथ घटी थी।
स्पष्टीकरण : बड़ौदा रियासत की नौकरी करते हुए अंबेडकर को बड़ौदा में रहने के लिए घर की जरूरत थी। मगर छूतछात की दूषित भावना के कारण अंबेडकर को कोई घर नहीं मिला। वे नाम बदलकर पारसी सराय में रहने लगे। मगर पारसियों को जब उनकी जाति का पता चला, तो उन्होंने डॉ. अंबेडकर को अपमानित करके खदेड़ दिया। अंबेडकर इस घटना को जीवन भर भूले नहीं। वे लिखते हैं – ‘वर्षों का समय बीत जाने पर भी पारसी सराय में मेरे साथ हुए दुर्व्यवहार का स्मरण करते ही मेरी आँखों में आँसू छलक पड़ते हैं।’



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