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Summery of the poem समर्पण in 80 to 100 words​

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प्रश्न 1. कविता में किसके चरण की धूल भाल पर मल ने की बात कही है?

उत्तर कविता में मातृभूमि के चरणों की धूल भाल पर मलने की बात कही है क्योंकि कवि के द्वारा भारत माता के प्रति अपना सम्मान प्रकट करना चाहता है।

प्रश्न 2. सभी ‘माँ ‘ का ऋण कैसे उतारना चाहता है?

उत्तर कभी अपना तन, मन और जीवन समर्पित करके ‘माँ ‘ का ऋण उतारना चाहता है वह अपने रक्त की प्रत्येक बूँद, आयु का प्रत्येक क्षण, व घर का तिनका – तिनका अर्पित करना चाहता है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए :–

(¡) “मन समर्पित, प्राण अर्पित

रक्त का कण – कण समर्पित।”

उत्तर प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहता है कि – माँ तुम्हारी रक्षा के लिए मैं अपने मन , प्राण और शरीर में बचे हुए रक्त की एक एक बूंद समर्पित करना चाहता हूँ। अर्थात देश के लिए बलिदान देना चाहता हूँ ।

(¡) “ये सुमन लो, यह चमन लो,

नीड़ का तृण – तृण समर्पित। ”

उत्तर प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहता है कि – हे माँ ! यह फूलों के समान जीवन रूपी सुख, यह सुंदर बगीचे जैसा देश और तिनका-तिनका चुन कर बनाया गया सपनों का संसार – सा मेरा घर यह सब मैं तुम्हें तुम्हारी रक्षा के लिए समर्पित करना चाहता हूँ ।

(¡¡¡) “स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित,

आयु का क्षण – क्षण समर्पित ।”

उत्तर प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहता है कि मैंने अपने जीवन को सँवारने के लिए जो सपने देखे हैं, उन सपनों को और भविष्य को जानने – समझने के लिए जिन प्रश्नों को मन में रखा है, उन प्रश्नों को तथा अपने जीवन के प्रत्येक पलों को तुम्हारे मान और सम्मान के लिए अर्पित करना चाहता हूँ।

प्रश्न 4. कविता में कवि मातृभूमि पर क्या-क्या न्योछावर कर देना चाहता है? अपने विचार विस्तार से लिखिए ।

उत्तर कविता में कवि अपनी मातृभूमि पर अपना तन – मन और जीवन न्योछावर करना चाहता है क्योंकि इस मातृभूमि का कवि पर बहुत कर्ज है वह इस कर्ज को उतारने के लिए मन, प्राण, रक्त की एक – एक बूंद समर्पित करना चाहता है । वह हाथों में तलवार लेकर भारत, भारतभूमि की धूल अपने मस्तक पर लगाकर, धरती माता का आशीर्वाद लेकर, मोह – माया का त्याग कर, मातृभूमि की रक्षा करना चाहता है।

प्रश्न 5. हमारे लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि है। हम ऐसे क्या कार्य कर सकते हैं, जिनसे हमारे राष्ट्र का विकास हो सके, लिखिए ।

उत्तर राष्ट्र का विकास करने के लिए सर्वप्रथम हमें एकता के सूत्र में बंधना होगा क्योंकि इसके बिना किसी राष्ट्र का विकास नहीं हो सकता। इसके अतिरिक्त हम निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं :–

1. समाज में फैली बुराइयों , अशिक्षा , बालविवाह, छुआछूत आदि को दूर करना।

2. स्वरचित कर्ताओं के माध्यम से देश में त्याग की भावना जागृत करना।

3. नए – नए उद्योगों और अविष्कारों द्वारा देश में आर्थिक विकास में सहयोग करना।

* पर्यायवाची शब्द :–

1. तलवार –खड्ग, असि, कृपाण।

2. धरती — वसुधा, पृथ्वी, धरा।

3. सुमन — पुष्प, फूल, कुसुम ।

4. चमन — उद्यान, वाटिका, बगीचा

5. निवेदन –प्रार्थना, विनती।

6. देश –राष्ट्र, वतन, मुल्क।

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