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Answer» सूखा : एक आपदा सूखा वह स्थिति है जिसमें किसी स्थाने पर अपेक्षित तथा सामान्य वर्षा से कहीं कम वर्षा पड़ती है। यह स्थिति एक लम्बी अवधि तक रहती है। सूखा गर्मियों में भयंकर रूप धारण कर लेता है जब सूखे के साथ-साथ ताप भी आक्रमण करता है। सूखा मानव, वनस्पति व पशु-पक्षियों को भूखा मार देता है। सूखे की स्थिति में कृषि, पशुपालन तथा मनुष्यों को सामान्य आवश्यकता से कम जल प्राप्त होता है। शुष्क तथा अर्द्ध-शुष्क प्रदेशों में सूखा एक सामान्य समस्या है, किन्तु पर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्र भी इससे अछूते नहीं हैं। मानसूनी वर्षा के क्षेत्र सूखे से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। सूखी एक मौसम सम्बन्धी आपदा है तथा किसी अन्य विपत्ति की अपेक्षा अधिक धीमी गति से आती है। सूखा के कारण यूँ तो सूखा के अनेक कारण हैं, परन्तु प्रकृति तथा मानव दोनों ही इसके मूल में हैं। सूखा के कारण इस प्रकार हैं 1. अत्यधिक चराई तथा जंगलों की कटाई : अत्यधिक । सूखा के कारण चराई तथा जंगलों की कटाई के कारण हरियाली की पट्टी धीरे-धीरे समाप्त हो रही है, परिणामस्वरूप वर्षा कम मात्रा में होती है। यदि होती भी है, तो जले भूतल पर तेजी से बह जाता है। इसके कारण मिट्टी का कटाव होता है तथा सतह से नीचे जल-स्तर कम हो जाता है, परिणामस्वरूप कुएँ, नदियाँ और जलाशय सूखने लगते हैं। 2. ग्लोबल वार्मिंग : ग्लोबल वार्मिंग वर्षा की प्रवृत्ति में वर्षा का असमान वितरण बदलाव का कारण बन जाती है। परिणामस्वरूप वर्षा वाले क्षेत्र । सूखाग्रस्त हो जाते हैं। 3. कृषि योग्य समस्त भूमि का उपयोग : बढ़ती हुई आबादी के लिए खाद्य-सामग्री उगाने के लिए लगभग समस्त कृषि योग्य भूमि पर जुताई व खेती की जाने लगी है। परिणामस्वरूप मृदा की उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है तथा वह रेगिस्तान में परिवर्तित होती जा रही है। ऐसी स्थिति में वर्षा की थोड़ी कमी भी सूखे का कारण बन जाती है। 4. वर्षा का असमान वितरण : दोनों तरीके से व्याप्त है। विभिन्न स्थानों पर न तो वर्षा की मात्रा समान है और न ही अवधि। हमारे देश में कुल जोती जाने वाली भूमि का लगभग 70 प्रतिशत भाग सूखा सम्भावित क्षेत्र है। इस क्षेत्र में यदि कुछ वर्षों तक लगातार वर्षा न हो तो सूखे की अत्यन्त दयनीय स्थिति पैदा हो जाती है। सूखा शमन की प्रमुख युक्तियाँ (साधन) 1. हरित पट्टियाँ : हरित पट्टी कालान्तर में वर्षा की मात्रा में सूखा शमन की प्रमुख युक्तियाँ वृद्धि तो करती ही है, साथ में ये वर्षा जल को रिसकर भूतल के (साधन) नीचे जाने में सहायक भी होती हैं। परिणामस्वरूप कुओं, तालाबों आदि में जल-स्तर बढ़ जाता है और मानव उपयोग के लिए अधिक जल उपलब्ध हो जाता है। 2. जल संचय : वर्षा कम होने की स्थिति में जल आपूर्ति को बनाये रखने के लिए, जल को संचय करके रखना एक दूरदर्शी युक्ति है। जल का संचय बाँध बनाकर या तालाब बनाकर किया जा सकता है। 3. प्राकृतिक तालाबों का निर्माण : यह भी सूखे की स्थिति से निबटने के लिए एक उत्तम उपाय है। प्राकृतिक तालाबों में जल संचय भू-जल के स्तर को भी बढ़ाता है। 4. विभिन्न नदियों को आपस में जोड़ना : इससे उन क्षेत्रों में भी जल उपलब्ध किया जा सकता है जहाँ वर्षा का अभाव रहा हो। भारत सरकार नदियों को जोड़ने की एक महत्त्वाकांक्षी योजना अगस्त, 2005 ई० में प्रारम्भ कर चुकी है। 5. भूमि का उपयोग : सूखा सम्भावित क्षेत्रों में भूमि उपयोग पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है, विशेषकर हरित पट्टी बनाने के लिए कम-से-कम 35 प्रतिशत भूमि को आरक्षित कर दिया जाना चाहिए। इस भूमि पर अधिकाधिक वृक्षारोपण कियेर जाना चाहिए।
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