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स्वामी दयानन्द सरस्वती के जीवन एवं कार्यों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्म गुजरात के टंकारा नामक स्थान पर एक ब्राह्मण परिवार में 1824 ई० के हुआ था। इनके बचपन का नाम मूलशंकर था। 21 वर्ष की अवस्था में मन की अशांति को दूर करने तथा ज्ञान की खोज में ग्रह-त्याग दिया। पाणिनी व्याकरण के विद्वान विरजानन्द से शिक्षा ग्रहण कर संस्कृत व्याकरण, दर्शन, धर्मशास्त्र और वेदों का ज्ञान प्राप्त किया। उन्नीसवीं शताब्दी में भारतीय लोग अनेक रुढ़ियों और आडम्बरों के कारण पतन की ओर उन्मुख हो रहे थे। ऐसे समय में स्वामी दयानन्द ने आर्य समाज की स्थापना कर, उनका उद्धार किया। उन्होंने हिन्दुओं को प्रेम, स्वतन्त्रता, सच्ची ईश्वरभक्ति एवं हिन्दू संस्कृति के प्रति सम्मान का भाव रखने की प्रेरणा दी। शिक्षा के क्षेत्र में दयानन्द सरस्वती का उल्लेखनीय योगदान रहा। वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने हिन्दी को राष्ट्रभाषा स्वीकार किया।



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