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'स्वाति एक गुन तीन’ इस कथन का तात्पर्य क्या है? लिखिए।

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ज्योतिष्य के अनुसार सत्ताइस नक्षत्रों में एक का नाम ‘स्वाति’ है। ऐसा विश्वास चला आ रहा है कि स्वाति नक्षत्र के समय जो वर्षा की बूंदें गिरती हैं, उनके विविधि वस्तुओं के सम्पर्क में आने पर, अनेक रूप हो जाते हैं। केले में गिरने पर वह बूंद कपूर बन जाती है। सीप में गिरने पर मोती बन जाती है और सर्प के मुख में गिरने पर वही स्वाति की बूंद विष बन जाया करती है। कवि ने इस कथन के माध्यम से संकेत किया है कि व्यक्ति जैसे लोगों की संगति में रहता है, वैसा ही बन जाता है। अतः सदा सत्संगति करनी चाहिए।



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