|
Answer» धारासभा में प्रवेश कर सरकार की अयोग्य नीतियों का विरोध करने के उद्देश्य से मुंशी चित्तरंजन दास और मोतीलाल नेहरु ने स्वराज्य दल की स्थापना की थी। - नवम्बर, 1923 में आयोजित धारासभाओं के (केन्द्रीय और कुछ प्रांतों) चुनाव में स्वराज्य दल के उम्मीदवार चुनकर आने से स्पष्ट बहुमत मिला ।
- केन्द्रीय धारासभा में दल के नेता के रूप में मोतीलाल नेहरु और बंगाल प्रांत के नेता के रूप में चितरंजनदास का चयन किया गया ।
- धारासभा में सरकारी नीतियों का विरोध तथा जनता के प्रश्नों पर सरकार का ध्यान देने हेतु विवश किया ।
- सन् 1925 के जून माह में चितरंजन दास का अवसान होने से ‘स्वराज्य दल’ कमजोर पड़ने लगा । सरकार का सहयोग देने के लिए इसके कई नेताओं ने ‘नेशनल दल’ की स्थापना की ।
- सन् 1926 में मद्रास प्रांत के अलावा सभी प्रांतों में इस दल की भारी पराजय हुई और स्वराज्य दल की प्रतिष्ठा कम हुई ।
|