1.

स्वतन्त्रता के मार्क्सवादी दृष्टिकोण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

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मार्क्सवादी दृष्टिकोण के अनुसार स्वतन्त्रता ऐसी स्थिति नहीं है जिसमें व्यक्ति को अकेला छोड़ दिया जाए। इसके विपरीत, स्वतन्त्रता की स्थितियाँ सामाजिक-आर्थिक सन्दर्भो से सम्बद्ध होती हैं। मार्क्सवादी विचारकों के अनुसार तर्कसंगत उत्पादन प्रणाली के अन्तर्गत ही व्यक्ति सच्चे अर्थों में स्वतन्त्र हो सकते हैं, क्योंकि ऐसी स्थिति में उत्पादन के प्रमुख साधनों पर सम्पूर्ण समाज का स्वामित्व होगा, कोई किसी का शोषण नहीं करेगा और उत्पादन की शक्तियाँ इतनी विकसित हो जाएँगी कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छा और आवश्यकता की पूर्ति आसानी से कर सकेगा। माक्र्सवाद के अनुसार व्यक्ति के लिए स्वतन्त्रता का सच्चा अर्थ तो उस समय सम्भव हो सकता है जब वह अभावों से मुक्त हो। उसे आत्मविश्वास के लिए जिन चीजों की जरूरत हो वे सब भरपूर मात्रा में उपलब्ध हों। मार्क्स नकारात्मक स्वतन्त्रता का विरोधी व सकारात्मकं स्वतन्त्रता का समर्थक है।



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