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तौलिये’ एकांकी के प्रधान स्त्री पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए।

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‘तौलिये’ उपेन्द्रनाथ अश्क द्वारा रचित एकांकी है। इसकी नायिका तथा प्रधान नारी पात्र मधु है। 

मधु के जीवन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

-सम्पन्न एवं कुलीन पृष्ठभूमि-एक सम्पन्न परिवार में जन्मी है। वह समाज में स्वयं को कुलीन कहता है।

मधु के संस्कार उससे प्रभावित हैं। इनका प्रभाव उस पर बहुत गहरा है। वह चाहकर भी उनसे मुक्त नहीं हो पाती तथा अस्वाभाविक निषेधपूर्ण जीवन जीकर अपना तथा परिवार का सुख नष्ट कर देती है।

सफाई की सनक – मधु को अपने संस्कारों के कारण सफाई पसन्द है। सफाई के प्रति उसकी पसन्द सनकीपन तक विस्तृत है। एक ही मनुष्य अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग तौलिए प्रयोग करे। वह परिवार के किसी अन्य सदस्य का तौलिया भी इस्तेमाल न करे, आदि उसके विचार सफाई के प्रति उसके सनकीपन को व्यक्त करने वाले हैं। पति से प्रेम-मधु के अपने पति बसन्त से प्रेम है। उसने उसके साथ प्रेम विवाह किया है। विचारों में अन्तर होने पर भी उसका प्रेम बसन्त के प्रति कम नहीं हुआ है। जब बसन्त बनारस चला जाता है तो मधु उसको नाराज जानकर अपने व्यवहार को बदल लेती है। वह बसन्त के अनुकूल रहकर उसे सुख देना चाहती है। वह अपनी नौकरानी मंगला से कहती है-बचपन से मैंने जो संस्कार पाये हैं उनसे मुक्ति पाना मेरे लिए उतना आसान नहीं । पर नहीं, मैं इस सब वहमों को छोड़ देंगी। पुरानी आदतों से छुटकारा पा लूंगी।

कमजोर आत्मनियन्त्रण – एक बार अपने पति की प्रसन्नता के लिए मधु सफाई के प्रति अपनी सनक से मुक्त होने का प्रयास करती है। वह अपनी पुरानी आदतों से छुटकारा पाना चाहती है। परन्तु जब बसन्त हाथ-मुँह धोकर सुरो और चिन्ती द्वारा प्रयोग किए गए तौलिये से हाथ-मुँह पोंछता है तो मधु सब कुछ भूलकर पहले जैसी ही बन जाती है। वह चीखकर कहती है-मैं पूछती हूँ आप सूखे और गीले तौलिए में तमीज नहीं कर सकते। अभी तो सुरो और चिन्ती चाय पीकर इस तौलिए से हाथ पोंछकर गई हैं। यह सुनकर बसन्त घबरा जाता है। मधु बदलने का प्रयास करके भी कमजोर आत्मनियन्त्रण के कारण स्वयं को बदल नहीं पाती।



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