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तौलिये महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की सन्दर्भ सहित व्याख्याएँ। बसन्त–मैं तुम्हें किस प्रकार विश्वास दिलाऊँ कि मैं स्वयं सफाई का बड़ा भारी समर्थक हूँ।मधु–(हँसती है) इसमें क्या सन्देह है?बसन्त–और मुझे स्वयं गन्दगी पसन्द नहीं है। मधु–(सिर्फ हँसती है।)बसन्त–पर मैं तुम्हारी तरह ‘अरिस्टोक्रेटिक’ (Aristocratic) वातावरण में नहीं पला और मुझे नजाकतें नहीं आतीं। हमारे घर में सिर्फ एक तौलिया होता था और हम छ: भाई उसे काम में लाते थे।मधु–आप मुझे अरेस्टोक्रेट कहकर मेरा उपहास करते हैं। मैं कब कहती हूँ, दस–दस तौलिये हों।बसन्त–दस और किस तरह होते हैं? नहाने का अलग। हजामत बनाने का अलग। हाथ–मुँह पोंछने का अलग। और फिर तुम्हारे और मदन के।मधु–(पहलू बदलकर) लेकिन मैं पूछती हूँ, इसमें दोष क्या है? जब हम खरीद सकते हैं तो क्यों न दस–दस तौलिये रखें। कल परमात्मा न करे हम इस योग्य न रहें, तो मैं आपको दिखा दूं, कि किस तरह गरीबी में भी सफाई रखी जा सकती है–तौलिये न सही, खादी के अँौंछे सही–कुछ भी रखा जा सकता है। लेकिन जिस तौलिए से किसी दूसरे ने बदन पोंछा हो, उससे किस प्रकार कोई अपना शरीर पोंछ सकता है?

Answer»

कठिन शब्दार्थ–अरिस्टोक्रेटिक = कुलीन, रईस। नजाकत = सुकुमारता। उपहास = हँसी, मजाक। बदन = शरीर।।

सन्दर्भ एवं प्रसंग–प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य–पुस्तक ‘सृजन’ में संकलित ‘तौलिये’ शीर्षक एकांकी से लिया गया है। इसके रचयिता उपेन्द्रनाथ अश्क हैं।।
मधु चाहती है कि प्रत्येक मनुष्य का अलग तौलिया हो तथा प्रत्येक काम के लिए भी अलग तौलिया हो। उसका पति इस बात का ध्यान नहीं रख पाता। वह किसी भी तौलिया का प्रयोग कर लेता है। इस कारण दोनों में विवाद होता है।

व्याख्या–बसन्त मधु से कहता है कि वह सफाई को पसन्द करता है, इस बात का विश्वास उसको वह किस तरह दिलाए। मधु हँसकर कहती है कि उसकी बात में सन्देह नहीं है। बसन्त पुनः कहता है कि उसको गन्दगी नहीं है। मधु केवल हँसती है, कहती कुछ नहीं। बसन्त पुन: कहता है कि उसका पालन–पोषण रईसी के वातावरण में नहीं हुआ है। जैसा कि मधु का हुआ है। उसको अपने को कोमल दिखाना भी नहीं आता। उसके छः भाई थे। उनके घर में एक ही तौलिया होता था। सभी उसी एक तौलिये को काम में लाते थे। मधु ने उससे कहा कि वह उसको रईस कहकर उसकी हँसी उड़ा रहा है।

वह नहीं कह रही कि घर में दस तौलिये हों। बसन्त ने प्रतिवाद किया। नहाने, हजामत बनाने, हाथ–मुँह पोंछने के लिए अलग–अलग तौलिये होंगे। एक तौलिया मधु का और एक मदन का होगा। इस तरह दस तौलिये तो होंगे ही। मधु तुरन्त अपनी कही हुई बात से पलट जाती है और कहती है कि यदि वे खरीद सकते हैं तो दस तौलिये रखने में भी कोई दोष नहीं है। ईश्वर न करे, यदि कल वे लोग गरीब हो जाएँ, तब भी वह दिखा देगी कि गरीबी में भी सफाई रखी जा सकती है और तौलिये खरीदना सम्भव न हो तो खादी के अंगोछे से भी काम चलाया जा सकता है। किन्तु जिस तौलिये से कोई आदमी पहले अपना शरीर पोंछ चुका है उससे कोई भी अपना शरीर नहीं पोंछ सकता।

विशेष–
(i) मधु सफाई पसन्द है। वह नहीं चाहती है कि घर में सभी एक ही तौलिये का प्रयोग करें।
(ii) बसन्त मधु का पति है। वह किसी के भी तौलिये को उठा लेता है। इससे दोनों में विवाद छिड़ जाता है।
(iii) भाषा सरल है तथा पात्रों के अनुकूल है।
(iv) संवाद शैली है।



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