

InterviewSolution
Saved Bookmarks
1. |
तेरे दिमाग मैं तो लोहा भरा है विधा का खा ताप लगैगा ? इस कथन से आप खा तक सहमत है? |
Answer» यह गद्यांश कक्षा _XIवीं की अरोह पुस्तिका, पाठ "गलता लोहा" से उद्धरित है,यहां त्रिलोक सिंह मास्टर जी ने लोहार विद्यार्थी , धनराम को \'ताप खाने \' को कहते हैं,वह धनराम को बताना चाहते हैं जिस प्रकार लोहा को गर्म करके ठीक किया जा सकता है उसी प्रकार धनराम को भी आग की \'ताप\' लेनी चाहिए जिससे उसकी अक्ल सही हो। | |