|
Answer» थॉर्नडाइक द्वारा प्रतिपादित सीखने का तीसरा मुख्य नियम है प्रभाव का नियम (Law of effect)। प्रभाव के नियम को सन्तोष और असन्तोष का नियम भी कह्ते हैं। थॉर्नडाइक द्वारा प्रतिपादित इस नियम में प्रभावे से तात्पर्य ‘परिणाम’ से है। जिन कार्यों का परिणाम व्यक्ति को सन्तोष प्रदान करता है। तथा उसे सुखद अनुभव देता है-उन कार्यों को मनुष्य सरलता से एवं शीघ्र ही सीख जाता है। इसके विपरीत जिन कार्यों का परिणाम असन्तोषजनक तथा दु:खद अनुभव वाला होता है, उन्हें व्यक्ति भुला, देना चाहता है और बार-बार दोहराना नहीं चाहता। इसी सन्दर्भ में जिस कार्य को करने से व्यक्ति को प्रशंसा एवं पुरस्कार मिले यानि जिस कार्य का अच्छा प्रभाव (परिणाम) निकले, उसे बालक शीघ्रतापूर्वक सीख जाता है। इसी कारण से शिक्षा में दण्ड एवं पुरस्कार को बहुत अधिक महत्त्व है। बुरा कार्य करने पर बालक दण्ड पाता है किन्तु अच्छे कार्य के लिए उसे पुरस्कृत किया जाता है। प्रभाव का नियम विद्यालय तथा परिवार में पर्याप्त रूप से प्रयोग किया जाता है।
|