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| 1. | उद्योगों के स्थानीयकरण के लिए किन्हीं चार भौगोलिक कारकों का उल्लेख कीजिए | 
| Answer» उद्योगों के स्थानीकरण के चार भौगोलिक कारकों का विवरण निम्नवत् है – ⦁ कच्चे माल की उपलब्धता – किसी स्थान पर कच्चे माल की उपलब्धता वहाँ सम्बन्धित उद्योग के स्थानीयकरण का प्रमुख कारक है। ऐसा न होने पर कच्चा माल अन्यत्र दूरस्थ स्थान पर ले जाने में समय व धन का अपव्यय होता है। यही कारण है कि चीनी के उद्योग का उत्तर प्रदेश में, लौह-इस्पात उद्योग का झारखण्ड में, सूती वस्त्र उद्योग को महाराष्ट्र में स्थानीयकरण हुआ है। ⦁ जलवायु – किसी भी उद्योग के लिए किसी स्थान पर उपयुक्त जलवायु होना भी स्थानीयकरण का कारक है। सूती वस्त्र उद्योग के लिए आर्द्र जलवायु आवश्यक है तो चीनी उद्योग के लिए उष्ण-आर्द्र। यही कारण है कि सूती वस्त्र उद्योग का महाराष्ट्र व गुजरात में स्थानीयकरण हुआ है। ⦁ जल की उपलब्धता – अधिकांश विनिर्माण उद्योगों में जल की आवश्यकता बड़ी मात्रा में पड़ती है। सीमेण्ट उद्योग, कागज उद्योग, चीनी उद्योग ऐसे उद्योगों के उदाहरण हैं। ये उद्योग उन्हीं स्रोतों पर केन्द्रित हैं जहाँ जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। ⦁ श्रम-शक्ति की उपलब्धता – लगभग सभी उद्योगों में पर्याप्त तथा कुशल श्रम-शक्ति की आवश्यकता पड़ती है। किसी जल-विहीन या निम्नतम जनसंख्या घनत्व वाले स्थान पर उद्योगों के लिए श्रम-शक्ति का अभाव होता है। अन्य स्थानों से श्रम-शक्ति को लाकर बसाना महँगा व असुविधाजनक होती है। अत: उद्योगों के स्थानीयकरण में श्रम-शक्ति की उपलब्धता एक महत्त्वपूर्ण कारक है। | |